ITTEFAKAN SALGIRAH PR —Chhaya gautam
“मैम कोरियर आया है” दीपेश ने बोला
“किसने और कहाँ से भेजा है ?” वेदिका ने पूछा
“किसी श्री मान सिंह ने भेजा है |” दीपेश ने बोला
“अच्छा ठीक है, रख दो |” वेदिका ने कहा .
“मैम मेज पर रख रहा हूँ |” दीपेश ने बोला
वेदिका ने उलट-पलट कर देखा और फिर दोबारा टेबल पर रखते हुए कुछ सोचने लगी| सिंह से उसे सिर्फ एक ही इंसान का चेहरा याद आ रहा था | वो चेहरा था विशाल का| और कौन था जो आज के दिन उसे कुछ भेज सकता था| एक विशाल ही तो था जिसने उसके स्कूल से लेकर कॉलेज तक उसके सभी जन्मदिन खास बनाए थे| वेदिका से भी ज्यादा अगर किसी को उसके जन्मदिन की खुशी थी तो वो था विशाल वैसे भी और किसी को कहाँ पता था की आज उसका जन्मदिन था| कॉलेज और स्कूल के दोस्तों से अब उसकी बात सिर्फ फेस्बूक के कॉमेंट बॉक्स में होती थी| और जन्मदिन की कुछ एक पोस्ट उसने सुबह हैशटैग hbd भी उसे मिल गई थी और कुछ एक whtsup स्टैटस भी| और आज कल के व्यस्त जीवन में कौन किसी का इतना ध्यान रखता है| वेदिका ये सब सोच ही रही थी और उसका ध्यान गया घड़ी पर उसकी मीटिंग का वक्त हो गया था | फिर उस कौरियर को वही छोड़ वो चली गई| दो घंटे बाद जब वो मीटिंग से वापिस आा रही ती तो बहुत खुश हुई क्योंकि अब वो उस कोरियर को खोल सकती थी| अपने कैबिन में जाकर जब वेदिका ने देखा तो वहाँ कुछ नहीं था|
“दीपेश मेरे जन्मदिन का तोहफा कहाँ जो विशाल ने भेजा है?”. वेदिका ने गुस्से मे बोला
“मैम कौन-सा तोहफा?” दीपेश ने बोला
“वही दीपेश जो इस मेज पर रखा था ” वेदिका ने गुस्से में चीखते हुए बोला .
“मैम वो गलती से यहाँ आ गया था, कोरियर वाला गलती से यहाँ आ गया था |” दीपेश ने बोला
The end
काश ये ही उस कोरियर का सही पता होता। सुंदर।
LikeLiked by 1 person
एक काश पुरा होने से बहुत सी कहानी पूरी होती है
LikeLiked by 1 person
ओह।दिल तो पागल है….
LikeLiked by 1 person
🤣🤣
LikeLike